अनुवाद: साउथ कोरियाई कवि ‘को उन’ की कविता ‘इअर’ (Ear)

आ रहा है कोई,
दूजे संसार से।

रात्रि-वर्षा की फुसफुसाहट

अब उधर जा रहा है कोई
उन दोनों का मिलन निश्चित है।