‘Ek Aur Buddh’, Hindi Kavita by Nidhi Agarwal
वह महल में नहीं
जन्मा था,
न की गई थी उसके जन्म पर
कोई भविष्यवाणी।
कोढ़ी, वृद्ध और मृतक…
गाय, गौरैया और गाँव जैसे ही
सहज थे उसके लिए।
जग के दुःख उसे कभी
विचलित नहीं कर पाए।
कमाने के लिए
यशोधरा की एक हँसी
और पुत्र राहुल की
दो किताबें,
वह प्रतिदिन
उन्हें सोता छोड़
कारख़ाने जाता है।
साँझ ढले
साइकिल के हैंडिल पर लटका
कुछ सब्जी-भाजी
और कुछ आस के अर्द्ध कुम्हलाए फूल
एक बुद्ध हर शाम
घर लौट आता है।
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