कुछ ज़र्रे चाँद के
थोड़े पुर्जे ख्वाब के
बागों से पकड़ तितलियाँ
झील से ले थोड़ी मछलियाँ
बीत गए पल को
रूठ गए कल को
थोड़ा तोड़के
थोड़ा मोड़के
डालके घूमाते हैं
एक कैलिडोस्कोप
बनाते हैं

आँखों की मस्तियाँ
घाट की कश्तियाँ
खुदा से अर्ज़ियाँ
थोड़ी मनमर्जियाँ
मिलाके खलबत्ते में
कूटते हैं
थोड़ा तोड़के
थोड़ा मोड़के
डालके घूमाते हैं
एक कैलिडोस्कोप
बनाते हैं

कुछ तिनके इश्क़ के
कुछ पत्ते इल्म के
उदास पड़ी हँसी
हँसी तो फिर फँसी
थोड़ा तोड़के
थोड़ा मोड़के
डालके घूमाते हैं
एक कैलिडोस्कोप
बनाते हैं

नादान शैतानियाँ
शैतान नादानियाँ
लंबी कहानियाँ
छोटी परेशानियाँ
थोड़ा तोड़के
थोड़ा मोड़के
डालके घूमाते हैं
एक कैलिडोस्कोप
बनाते हैं

ख्वाबों पे उतरे दरिया
चाँद देस की परियाँ
मेरी थोड़ी कमियाँ
तेरी थोड़ी कमियाँ
थोड़ा तोड़के
थोड़ा मोड़के
डालके घूमाते हैं
एक कैलिडोस्कोप
बनाते हैं

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