एक कतरा गाल पर ठहरा रहा
और उदासी में खलल पड़ता रहा

खुद ही अपने घोंसले बर्बाद कर
इक परिंदा उम्र भर रोता रहा

चारागर को वो सलाह देने लगे
दर्द गम का शह्र में बढ़ता रहा

एक लड़की एक दिन गम में रही
और लड़का उम्र भर रोता रहा

एक दिलकश रात की आगोश में
दर्द तन्हा रातभर जलता रहा

याद आयी ख़ामख़ा कल रात वो
आज फिर मैं देर तक सोता रहा