जब भी तुम किसी आदमी को जेल जाते हुए देखो, अपने दिल में सोचना- “शायद वह एक और अधिक सँकरी जेल से भाग रहा है!”
और जब भी तुम किसी आदमी को नशे में देखो, अपने दिल में सोचना- “शायद वह एक ऐसी चीज़ से छुटकारा चाहता है जो और भी बदसूरत है!”
(अनुवाद: पुनीत कुसुम)