बोले और सुने जा रहे के बीच जो दूरी है
वह एक आकाश है
मैं खूँटी से उतारकर एक कमीज़ पहनता हूँ
और एक आकाश के भीतर घुस जाता हूँ,
मैं जूते में अपना पाँव डालता हूँ
और एक आकाश मोजे की तरह चढ़ जाता है,
मेरे पाँवों पर
नेलकटर से अपने नाख़ून काटता हूँ
तो आकाश का एक टुकड़ा कट जाता है
एक अविभाजित वितान है आकाश
जो न कहीं से शुरू होता है, न कहीं ख़त्म
मैं दरवाज़ा खोलकर घुसता हूँ, अपने ही घर में
और एक आकाश में प्रवेश करता हूँ,
सीढ़ियाँ चढ़ता हूँ
और आकाश में धँसता चला जाता हूँ
आकाश हर जगह एक घुसपैठिया है!