Har Zor Zulm Ki Takkar Mein | Shailendra

हर ज़ोर-ज़ुल्म की टक्कर में, हड़ताल हमारा नारा है!

तुमने माँगे ठुकरायी हैं, तुमने तोड़ा है हर वादा
छीनी हमसे सस्ती चीज़ें, तुम छँटनी पर हो आमादा
तो अपनी भी तैयारी है, तो हमने भी ललकारा है
हर ज़ोर-ज़ुल्म की टक्कर में, हड़ताल हमारा नारा है!

मत करो बहाने संकट है, मुद्रा-प्रसार इन्फ़्लेशन है
इन बनियों, चोर-लुटेरों को क्या सरकारी कंसेशन है
बग़लें मत झाँको, दो जवाब क्या यही स्वराज्य तुम्हारा है?
हर ज़ोर-ज़ुल्म की टक्कर में, हड़ताल हमारा नारा है!

मत समझो हमको याद नहीं हैं जून छियालिस की रातें
जब काले-गोरे बनियों में चलती थीं सौदों की बातें
रह गई ग़ुलामी बरक़रार, हम समझे अब छुटकारा है
हर ज़ोर-ज़ुल्म की टक्कर में, हड़ताल हमारा नारा है!

क्या धमकी देते हो साहब, दमदांटी में क्या रक्खा है
वह वार तुम्हारे अग्रज अंग्रेज़ों ने भी तो चक्खा है
दहला था सारा साम्राज्य जो तुमको इतना प्यारा है
हर ज़ोर-ज़ुल्म की टक्कर में, हड़ताल हमारा नारा है!

समझौता? कैसा समझौता? हमला तो तुमने बोला है
महँगी ने हमें निगलने को दानव जैसा मुँह खोला है
हम मौत के जबड़े तोड़ेंगे, एका हथियार हमारा है
हर ज़ोर-ज़ुल्म की टक्कर में, हड़ताल हमारा नारा है!

अब सम्भले समझौता-परस्त घुटना-टेकू ढुलमुल-यक़ीन
हम सब समझौतेबाज़ों को अब अलग करेंगे बीन-बीन
जो रोकेगा वह जाएगा, यह वह तूफ़ानी धारा है
हर ज़ोर-ज़ुल्म की टक्कर में, हड़ताल हमारा नारा है!

शैलेन्द्र की कविता 'इतिहास'

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शैलेन्द्र
शंकरदास केसरीलाल शैलेन्द्र (१९२३-१९६६) हिन्दी के एक प्रमुख गीतकार थे। जन्म रावलपिंडी में और देहान्त मुम्बई में हुआ। इन्होंने राज कपूर के साथ बहुत काम किया। शैलेन्द्र हिन्दी फिल्मों के साथ-साथ भोजपुरी फिल्मों के भी एक प्रमुख गीतकार थे।

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