इंदिरा छंद ‘पथिक’

तमस की गयी ये विभावरी।
हृदय-सारिका आज बावरी॥
वह उड़ान उन्मुक्त है भरे।
खग प्रसुप्त जो गान वो करे॥

अरुणिमा रही छा सभी दिशा।
खिल उठा सवेरा, गयी निशा॥
सतत कर्म में लीन हो पथी।
पथ प्रतीक्ष तेरे महारथी॥

अगर भूत तेरा डरावना।
पर भविष्य आगे लुभावना॥
मत रहो दुखों को विचारते।
बढ़ सदैव राहें सँवारते॥

कर कभी न स्वीकार हीनता।
मत जता किसी को तु दीनता॥
जगत से हटा दे तिमीर को।
‘नमन’ विश्व दे कर्म वीर को॥

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लक्षण छंद:-

“नररलाग” वर्णों सजाय लें।
मधुर ‘इंदिरा’ छंद राच लें।।

“नररलाग” = नगण रगण रगण + लघु गुरु
111 212  212 12,
चार चरण, दो-दो चरण समतुकांत

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बासुदेव अग्रवाल ‘नमन’
तिनसुकिया

बासुदेव अग्रवाल
नाम- बासुदेव अग्रवाल 'नमन' शिक्षा- बी कॉम जन्म तिथि- 28 अगस्त 1952 निवास- तिनसुकिया (असम) हर विधा में काव्य सृजन जैसे ग़ज़ल, गीत, सभी प्रचलित वार्णिक और मात्रिक छंद, हाइकु इत्यादि। अनेक वेबसाइट और साहित्यिक ग्रूप में रचनाओं का प्रकाशन।