हमारी ख़्वाहिशों का नाम इंक़लाब है!
हमारी ख़्वाहिशों का सर्वनाम इंक़लाब है!
हमारी कोशिशों का एक नाम इंक़लाब है!
हमारा आज एकमात्र काम इंक़लाब है!

ख़तम हो लूट किस तरह? जवाब इंक़लाब है!
ख़तम हो भूख किस तरह? जवाब इंक़लाब है!
ख़तम हो किस तरह सितम? जवाब इंक़लाब है!
हमारे हर सवाल का जवाब इंक़लाब है!

सभी पुरानी ताक़तों का नाश इंक़लाब है!
सभी विनाशकारियों का नाश इंक़लाब है!
हरेक नवीन सृष्टि का विकास इंक़लाब है!
विनाश इंक़लाब है, विकास इंक़लाब है!

सुनो कि हम दबे हुओं की आह इंक़लाब है
खुलो कि मुक्ति की खुली निगाह इंक़लाब है
उठो कि हम गिरे हुओं की राह इंक़लाब है
चलो, बढ़े चलो कि युग प्रवाह इंक़लाब है!

हमारी ख़्वाहिशों का नाम इंक़लाब है!
हमारी ख़्वाहिशों का सर्वनाम इंक़लाब है!
हमारी कोशिशों का एक नाम इंक़लाब है!
हमारा आज एकमात्र काम इंक़लाब है!

गोरख पाण्डेय की कविता 'समझदारों का गीत'

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