उठो लाल अब आँखें खोलो,
पानी लायी हूँ, मुँह धो लो

बीती रात कमल दल फूले,
उनके ऊपर भँवरे डोले

चिड़िया चहक उठी पेड़ पर,
बहने लगी हवा अति सुन्दर

नभ में न्यारी लाली छायी,
धरती ने प्यारी छवि पायी

भोर हुआ सूरज उग आया,
जल में पड़ी सुनहरी छाया

ऐसा सुन्दर समय न खोओ,
मेरे प्यारे अब मत सोओ!

अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’
अयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔध' (15 अप्रैल, 1865-16 मार्च, 1947) हिन्दी के एक सुप्रसिद्ध साहित्यकार थे। वे दो बार हिंदी साहित्य सम्मेलन के सभापति रह चुके हैं और सम्मेलन द्वारा विद्यावाचस्पति की उपाधि से सम्मानित किये जा चुके हैं। 'प्रिय प्रवास' हरिऔध जी का सबसे प्रसिद्ध और महत्वपूर्ण ग्रंथ है। यह हिंदी खड़ी बोली का प्रथम महाकाव्य है और इसे मंगला प्रसाद पारितोषित पुरस्कार प्राप्त हो चुका है।