‘Jitna Kam Saman Rahega’, a poem by Gopaldas Neeraj

जितना कम सामान रहेगा
उतना सफ़र आसान रहेगा

जितनी भारी गठरी होगी
उतना तू हैरान रहेगा

उससे मिलना नामुमकिन है
जब तक ख़ुद का ध्यान रहेगा

हाथ मिलें और दिल न मिलें
ऐसे में नुक़सान रहेगा

जब तक मन्दिर और मस्जिद हैं
मुश्किल में इन्सान रहेगा

‘नीरज’ तो कल यहाँ न होगा
उसका गीत-विधान रहेगा

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Book by Gopaldas Neeraj:

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गोपालदास नीरज
(4 जनवरी 1925 - 19 जुलाई 2018), बेहद लोकप्रिय कवि, गीतकार एवं ग़ज़लकार।

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