कहानी की तरह हो तुम,
माथे से लेकर पैर तक, पूरी कहानी ही हो;
गाल्ज़वर्दी की कहानियाँ जिस अंदाज़ में
आश्चर्य ले आया करती हैं तुम्हें देखकर
ठीक वैसा ही लगता है;
हेमिंग्वे की कहानियों की तरह परिपक्व,
बेबाकी उसी तरह जैसे कि
मैन्सफील्ड की कहानियों में लिखा है,
जल्द ही घुल मिल जाती हो सबसे,
चेख़व की कहानियों की तरह;
सादगी जैसे रस्किन बांड की कहानियों में
दिखती है तुम हूबहू उसी की नक़ल हो,
मर्म छूने में सफल हो तो जाती हो
जैसे ऑस्कर वाइल्ड की कहानियां कर जाती है;
पर वो समर्पण और त्याग;

जो ओ हेनरी की कहानियों में,

होता है वो तुम में नही दिखा मुझे
इसलिए फ्रांस काफ्का की कहानियों की तरह
बिना किसी निष्कर्ष के तुमको छोड़ रहा हूँ ।

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