‘Kavi Nahi The’, a poem by Rahul Boyal

कवि नहीं थे
वो खाये-पीये-अघाये लोग थे
वो अपने एकान्त में
चीज़ों की बहुलता से तंग आये लोग थे
उनकी करुणा उधार की थी
उनके रिश्ते ख़रीदे हुए थे
वो शालीनता का दिखावा थे
वो सम्वेदनाओं से अलगाये लोग थे
वो गधों की तरह खपे नहीं थे
वो मानवता-स्केल से नपे नहीं थे
उनके हँसने-रोने में भी अनुशासन था
वो परोपकार की छवि नहीं थे
कवि नहीं थे
वो नशे में धुत मुस्काये लोग थे
वो मिट्टी-से थोड़े ऊपर के थे
दिन में दस बार नहाये लोग थे।

उन्होंने हरियाली की बातें की
वो फूलों को चूमा करते थे
वो जड़ों से जुड़े रहने के हिमायती थे
पर कभी उन्होंने पौधे लगाये नहीं थे
वो पसीने की करते थे पैरोकारी
अमन और क्रान्ति के लबादे ढोते थे
पर बरक्स ख़ुद के भी कभी
कांधे तक उचकाये नहीं थे
उन्होंने स्त्रियों पर विमर्श लिखा
पितृसत्ता के ख़िलाफ़ कई शब्द उछाले
उन्होंने शान्ति का उत्कर्ष लिखा
वो भाग्य के सताये नहीं थे
वो यजमान थे, हवि नहीं थे
कवि नहीं थे
वो भरे पेट के चुग़ली खाये लोग थे
वो अतिरेक से उबकाये लोग थे

कवि नहीं थे
वो सब कुछ थे, बस कवि नहीं थे
वो खाये-पीये-अघाये लोग थे।

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राहुल बोयल
जन्म दिनांक- 23.06.1985; जन्म स्थान- जयपहाड़ी, जिला-झुन्झुनूं( राजस्थान) सम्प्रति- राजस्व विभाग में कार्यरत पुस्तक- समय की नदी पर पुल नहीं होता (कविता - संग्रह) नष्ट नहीं होगा प्रेम ( कविता - संग्रह) मैं चाबियों से नहीं खुलता (काव्य संग्रह) ज़र्रे-ज़र्रे की ख़्वाहिश (ग़ज़ल संग्रह) मोबाइल नम्बर- 7726060287, 7062601038 ई मेल पता- [email protected]

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