‘Kavita Kya Hai’, a poem by Nishant Singh Thakur

कविता होती है उन पत्तों की तरह
जो आख़िरी पत्ते पतझड़ में नहीं टूटते।
पेड़ की वो पतली टहनी है
जिसपर से गिलहरियाँ छलांग मारती हैं।
कविता है तितली का टूटा हुआ पंख
कविता बुझता हुआ दिया है
जो जलता है कुछ देर आस देकर, फिर बुझ जाता है।
कविता अधमरा साँप है,
जिसे मरने छोड़ दिया गया है।

कविता नहीं है
जीवन, सत्य और नकारात्मकता।
सोमवार कविता नहीं है,
रविवार कविता है।
कविता स्वप्न है,
धोखा है, आस्था है।

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