प्रियतम!
तुम जब चले गए
सूनी मेरी सेज हो गयी
हम जल बिन मीन हुए
साथी तुम जब चले गए
पायल गुमसुम सी है बैठी
लाख कहूँ नहीं छमछम करती
चूड़ी भूली खनकन अपनी
कंगन मौन भये
साथी तुम जब दूर गए
तक-तक थक गए नैन बिचारे
अँचरा बुहारे पंथ तिहारे
नैनन से बह निकली नदिया
कजरा डूब गए
तुम क्यों चले गए
हृदय तार में झंकृत तुम हो
क्षण-क्षण में बस अंकित तुम हो
प्राणों में भी संचित तुम हो
मन की रेखा को बोलो
तुम कैसे लाँघ गए
सजन हो क्यों तुम चले गए…

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