खेती से पैदा हुई तब्दीलियाँ
अनुवाद: प्रेमचंद
अपने पिछले ख़त में मैंने कामों के अलग-अलग किए जाने का कुछ हाल बतलाया था। बिल्कुल शुरू में जब आदमी सिर्फ़ शिकार पर...
उपेन्द्रनाथ अश्क का राजकमल चौधरी को पत्र
5, ख़ुसरोबाग़ रोड
इलाहाबाद, 21-11-61
प्रिय राजकमल,
तुम्हारा पत्र मिला। उपन्यास (नदी बहती है) की प्रतियाँ भी मिलीं। मैं उपन्यास पढ़ भी गया। रात ही मैंने उसे...
सफ़िया का पत्र जाँ निसार अख़्तर के नाम
भोपाल,
15 जनवरी, 1951
अख़्तर मेरे,
पिछले हफ़्ते तुम्हारे तीन ख़त मिले, और शनीचर को मनीआर्डर भी वसूल हुआ। तुमने तो पूरी तनख़्वाह ही मुझे भेज दी... तुम्हें...
एक ख़त स्वयंसिद्धाओं के नाम
एक ख़त हर उस लड़की के नाम जिसे अपनी ज़िन्दगी ख़ुद बनानी है...
अभी तो धूप गुनगुनी है, बीतते समय के साथ ये चटख होती...
मज़हब की शुरुआत और काम का बँटवारा
अनुवाद: प्रेमचंद
पिछले ख़त में मैंने तुम्हें बतलाया था कि पुराने ज़माने में आदमी हर एक चीज़ से डरता था और ख़याल करता था कि...
जातियों का बनना
'Jaatiyon Ka Banana', a letter from Jawaharlal Nehru to his daughter Indira Gandhi
अनुवाद: प्रेमचंद
मैंने पिछले ख़तों में तुम्हें बतलाया है कि शुरू में जब...
एक पत्र अमित्रों के नाम
'Ek Patr Amitron Ke Naam', by Nirmal Gupt
हे अमित्रों,
अब मैं वहाँ हूँ जहाँ से किसी को किसी की ख़बर नहीं आती। यहाँ हँसने-रोने को...
तुम्हारे साथ मुझे बँधना है, वो बँधन चाहे जैसा हो
'Tumhare Sath Mujhe Bandhna Hai', Hindi Patr by Rupam Mishra
तुम आंशिक रूप से घुल गये हो मेरे व्यक्तित्व में! तुम्हारा श्रेष्ठ चरित्र हमेशा मेरे...
सभ्यता क्या है?
'Sabhyata Kya Hai', a letter from Jawaharlal Nehru to his daughter Indira Gandhi
अनुवाद: प्रेमचंद
मैं आज तुम्हें पुराने ज़माने की सभ्यता का कुछ हाल बताता...
फिर लौटकर आऊँगी
प्रियतम,
सहज नहीं है, तुम्हारे प्रति प्रेम को मात्र शब्दों में परिभाषित करना, जैसे सहज नहीं है तुम्हारे नाम को हृदय की धमनियों के स्पंदन...
जबानों का आपस में रिश्ता
"जो कौमें आज दूर-दूर के मुल्कों में रहती हैं और भिन्न-भिन्न भाषाएँ बोलती हैं, वे सब किसी जमाने में एक ही बड़े खानदान की रही होंगी।"
आदमियों की कौमें और जबानें
"संस्कृत में आर्य शब्द का अर्थ है शरीफ आदमी या ऊँचे कुल का आदमी। संस्कृत आर्यों की एक जबान थी इसलिए इससे मालूम होता है कि वे लोग अपने को बहुत शरीफ और खानदानी समझते थे। ऐसा मालूम होता है कि वे लोग भी आजकल के आदमियों की ही तरह शेखीबाज थे।"