अदालत एक ढकोसला है : छह साथियों का एलान
'भगतसिंह और उनके साथियों के सम्पूर्ण उपलब्ध दस्तावेज़' से
कमिश्नर,
विशेष ट्रिब्यूनल,
लाहौर साज़िश केस, लाहौर
जनाब,
अपने छह साथियों की ओर से, जिनमें कि मैं भी शामिल हूँ,...
हसनैन जमाल के नाम एक ख़त (अपनी शायरी के हवाले से)
भाई हसनैन!
आपने कई बार ग़ज़लें माँगीं और मैं हर बार शर्मिंदा हुआ कि क्या भेजूँ? ऐसा नहीं है कि पुराने शेरी मजमूए के बाद...
शमशेर बहादुर सिंह के नाम पत्र
शमशेर बहादुर सिंह को मुक्तिबोध का पत्र
घर न० 86, विष्णु दाजी गली,
नई शुक्रवारी, सरकल न० 2
नागपुर
प्रिय शमशेर,
कुछ दिन पूर्व श्री प्रभाकर पुराणिक को लिखे...
अख़बारों की आज़ादी
बंगाल की प्रांतीय कांग्रेस कमेटी की कार्य-समिति के 'युगान्तर' पत्र के बहिष्कार का प्रस्ताव पास करने तथा बंगाल सरकार द्वारा कई पत्रों से जमानत...
सरग़ना राजा हो गया
‘पिता के पत्र पुत्री के नाम’ से – जवाहरलाल नेहरू के ख़त, इंदिरा गाँधी को
अनुवाद: प्रेमचंद
बूढ़े सरग़ना ने हमारा बहुत-सा वक़्त ले लिया। लेकिन हम उससे...
सरग़ना का इख़्तियार कैसे बढ़ा
'पिता के पत्र पुत्री के नाम' से - जवाहरलाल नेहरू के ख़त, इंदिरा गाँधी को
अनुवाद: प्रेमचंद
मुझे उम्मीद है कि पुरानी जातियों और उनके बुज़ुर्गों...
अब्राहिम लिंकन का पत्र मेरी ऑवेंस के नाम
यह पत्र लिंकन ने राष्ट्रपति बनने से बहुत पूर्व अपनी युवावस्था में लिखा था।
स्प्रिंग-फ़ील्ड,
7 मई, 1837
मित्र मेरी,
प्रस्तुत पत्र से पहले मैंने दो चिट्ठियाँ लिखनी आरम्भ...
ख़ानदान का सरग़ना कैसे बना
अनुवाद: प्रेमचंद
मुझे भय है कि मेरे ख़त कुछ पेचीदा होते जा रहे हैं। लेकिन अब ज़िन्दगी भी तो पेचीदा हो गई है। पुराने ज़माने...
खेती से पैदा हुई तब्दीलियाँ
अनुवाद: प्रेमचंद
अपने पिछले ख़त में मैंने कामों के अलग-अलग किए जाने का कुछ हाल बतलाया था। बिल्कुल शुरू में जब आदमी सिर्फ़ शिकार पर...
उपेन्द्रनाथ अश्क का राजकमल चौधरी को पत्र
5, ख़ुसरोबाग़ रोड
इलाहाबाद, 21-11-61
प्रिय राजकमल,
तुम्हारा पत्र मिला। उपन्यास (नदी बहती है) की प्रतियाँ भी मिलीं। मैं उपन्यास पढ़ भी गया। रात ही मैंने उसे...
सफ़िया का पत्र जाँ निसार अख़्तर के नाम
भोपाल,
15 जनवरी, 1951
अख़्तर मेरे,
पिछले हफ़्ते तुम्हारे तीन ख़त मिले, और शनीचर को मनीआर्डर भी वसूल हुआ। तुमने तो पूरी तनख़्वाह ही मुझे भेज दी... तुम्हें...
एक ख़त स्वयंसिद्धाओं के नाम
एक ख़त हर उस लड़की के नाम जिसे अपनी ज़िन्दगी ख़ुद बनानी है...
अभी तो धूप गुनगुनी है, बीतते समय के साथ ये चटख होती...