मधु की एक बूँद के पीछे
मानव ने क्या-क्या दुःख देखे!
मधु की एक बूँद धूमिल घन
दर्शन और बुद्धि के लेखे!
सृष्टि अविद्या का कोल्हू यदि,
विज्ञानी विद्या के अंधे,
मधु की एक बूँद बिन कैसे
जीव करे जीने के धंधे!
मधु की एक बूँद से भी यदि
जुड़ न सके मन का अपनापा,
क्यों दे श्रमिक पसीना, सैनिक
लहू, करे क्यों जाया जापा!
मधु की एक बूँद से बचकर,
व्यक्ति मात्र की बची चदरिया,
न घर तेरा, ना घर, मेरा,
रैन-बसेरा बनी नगरिया!
मधु की एक बूँद बिन, रीते
पाँचों कोश और पाँचों जन,
मधु की एक बूँद बिन, हम से
सभी योजनाएँ सौ योजन!
मधु की एक बूँद बिन, ईश्वर
शक्तिमान भी शक्तिहीन है!
मधु की एक बूँद सागर है,
हर जीवात्मा मधुर मीन हैl
मधु की एक बूँद पृथ्वी में,
मधु की एक बूँद शशि-रवि में
मधु की एक बूँद कविता में,
मधु की एक बूँद है कवि में!
मधु की एक बूँद के पीछे
मैंने अब तक कष्ट सहे शत,
मधु की एक बूँद मिथ्या है-
कोई ऐसी बात कहे मत!
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