एक औरत मुजफ़्फ़रपुर जंक्शन के प्लेटफ़ार्म पर
मरी लेटी है
उसका बच्चा उसके पास खेल रहा है
बच्चे की उम्र महज़ एक साल है
एक औरत की गोद में बच्चा है
वह अपने मरे पति की तस्वीर दिखा रही है
किसी अख़बार वाले को दिल्ली में
उस औरत की उम्र महज़ पन्द्रह साल है
एक मज़दूर लड़की अपने घर से कुछ दूर
साँस उखड़ने से मर गई महाराष्ट्र में
कुछ बारह-तेरह साल की थी वह
एक रबड़ कारख़ाने में काम करने वाला मज़दूर
बिहार आते समय ट्रक दुर्घटना में मर गया
एक युवा पीढ़ी का कामगार ही तो था वह
मैं उन में से किसी की भी जगह मर गया होता
और
उनमें से कोई एक भी जीवित होता
मेरे मरने का सौन्दर्य देखने लायक़ होता!
रोहित ठाकुर की कविता 'भाषा के पहाड़ के उस पार'