‘Main Dena Chahungi’, a poem by Harshita Panchariya

मरने के पहले
मैं देना चाहूँगी अपनी कविताएँ
उन सूखी नदियों को
ताकि भावों के प्रवाह से
हृदय के बाँध खुल जाएँ।

मरने के पहले
मैं देना चाहूँगी अपने आँसू
उन पाषाणों को
ताकि बरसों से जमी
धूल धुल जाए।

मरने के पहले
मैं देना चाहूँगी अपना स्पर्श
उन काँटों को
ताकि भेदता का
डंक भूल जाए।

मरने के पहले
मैं देना चाहूँगी अपना स्वाद
उन नीम करेलों को
ताकि सम्बन्धों में
मिठास घुल जाए।

मरने के पहले
मैं देना चाहूँगी अपनी गन्ध
उन मरे हुए स्वप्नों को
ताकि मृत होते स्वप्नों में
नव चेतना ढुल जाए।

मरने के पहले
मैं देना चाहूँगी अपनी समस्त ऊर्जा
इसी सृष्टि को
ताकि ब्रह्माण्ड में
एक तारा चमचमाने के लिए
अनुकूल हो जाए।

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