किसकी मेहनत और मशक़्क़त
किसके मीठे-मीठे फल हैं?
अपनी मेहनत और मशक़्क़त
उनके मीठे-मीठे फल हैं!

किसने ईंट-ईंट जोड़ी हैं
किसके आलीशान महल हैं?
हमने ईंट-ईंट जोड़ी हैं
उनके आलीशान महल हैं!

आज़ादी हमने पैदा की
क्यों ग़ुलाम हम, क्यों निर्बल हैं?
धन-दौलत का मालिक कैसे
हुआ निकम्मों का यह दल है?

कैसी है यह दुनिया उनकी
कैसा यह उनका विधान है?
उलटी है यह दुनिया उनकी
उलटा ही उनका विधान है!

हम मेहनत करने वालों के
ही ये सारे मीठे फल हैं
ले लेंगे हम दुनिया सारी
जान गए एका में बल है।

गोरख पाण्डेय की कविता 'इंक़लाब का गीत'

किताब सुझाव:

Previous articleपिता की मृत्यु
Next articleऔर मत रखो अँधेरे में, देखने दो मुझे

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here