तेरी याद में मैं खुद को बिखरा इस तरह देखूँ
पतझड़ में पेड़ की पत्ती का पेड़ से विरह देखूं ।।
आ दौड़ के और भर ले इस कदर बाहों में मुझको
बिखरे हुए फूलों का मैं खुद में एक गुलिस्तां देखूं ।।
ऐ मुझे छोड़ कर जाने वाले जरा ये तो बता
मैं कब तलक तेरी वापसी का रास्ता देखूं ।।
बेजुबान रात तो तेरे ख्वाबों के आगोश में समिट जाती है
बेदर्द दिन में मैं कब तक खुद को तन्हा देखूं ।।
नजरें चाहती है तेरे खूबसूरत चेहरे का अब दीदार करना
कब तक बिन साँसों की तस्वीर में तेरी मुस्कराहट देखूं ।।
मिल जाएं हम दोनों की रूह इस कदर एक दूसरे से
एक दूसरे को अलग अलग, मैं और तुम नही, हम देखूं ।।
दिल मिलें कुछ तरह दर्द में भी हम दोनों के
आह मुझे उठे और आंखें तेरी नम देखूं ।।
अपने लबो पे लगा आया मैं कुछ जख्म इसलिए
ताकि मैं तेरे लबों को अपने लबों का मरहम देखूं ।।