सूरज डूबा
साँझ हुई
गुवाले आए गाँव में,
चन्दा सोया
तारे नाचे
घुँघरू बाँधे पाँव में।
चौपालों पर
बूढ़े बैठे
चर्चाओं का दौर है,
लूटपाट और
तोड़-फोड़ का
गाँव-गाँव में शोर है।
पानी महँगा
ईंधन महँगा
यह कैसा युग आया है,
मेरे घर की
हँसी उड़ाने
मेहमानों को लाया है।