कितनी सुन्दर होती हैं पत्तियाँ नीम की
ये कोई कविता क्या बताएगी

जो उन्हें मीठे दूध में बदल देती है
उस बकरी से पूछो,
पूछो उस माँ से
जिसने अपने शिशु को किया है निरोग उन पत्तियों से
जिसके छप्पर पर उनका धुआँ
ध्वजा की तरह लहराता है
और जिसके आँगन में पत्तियाँ
आशीषों की तरह झड़ती हैं

कभी नीम के सफ़ेद नन्हें फूलों की गंध अपने सीने में भरी?
कभी उसकी छाल को घिसकर अपने घावों पर लगाया?
कभी भादों के झकोरों में उन हरी कटारों के झौरों को
झूमते हुए देखा?
नहीं!
तब तो यह कविता मेरा नाम ही धराएगी
जिसकी कोई पंक्ति एक हरी पत्ती-भर छाया भी दे नहीं पाएगी
वो क्या बताएगी
कि कितनी सुन्दर होती हैं पत्तियाँ नीम की।

नरेश सक्सेना की कविता 'पानी क्या कर रहा है'

Book by Naresh Saxena:

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नरेश सक्सेना
जन्म : 16 जनवरी 1939, ग्वालियर (मध्य प्रदेश) कविता संग्रह : समुद्र पर हो रही है बारिश, सुनो चारुशीला नाटक : आदमी का आ पटकथा लेखन : हर क्षण विदा है, दसवीं दौड़, जौनसार बावर, रसखान, एक हती मनू (बुंदेली) फिल्म निर्देशन : संबंध, जल से ज्योति, समाधान, नन्हें कदम (सभी लघु फिल्में) सम्मान: पहल सम्मान, राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार (1992), हिंदी साहित्य सम्मेलन का सम्मान, शमशेर सम्मान

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