विवरण: नाज़ी जर्मनी पर आधारित सिनेमा पर एक शोधपरक रचना ‘सिनेमा और साहित्य: नाज़ी यातना शिविरों की त्रासद गाथा!’

“एक फ़िल्म का संवाद है, फ़िल्म केवल मनोरंजन, मनोरंजन और मनोरंजन होती है। लेकिन होलोकास्ट साहित्य और होलोकास्ट फ़िल्में आपका मनोरंजन नहीं करती हैं। ये मनुष्य के अस्तित्व पर प्रश्न खड़े करती हैं। आदमी की अस्मिता, उसके आत्मसम्मान की बात करती हैं। यह साहित्य, ये फ़िल्में आपके रोंगटे खड़े कर देती हैं!”

– विजय शर्मा

  • Format: Hardcover
  • Publisher: Vani Prakashan (2019)
  • ASIN: B07NBKBPZ1
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पोषम पा
सहज हिन्दी, नहीं महज़ हिन्दी...

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