‘योगफल’ कविता संग्रह – अरुण कमल
“जब तुम हार जाओ
जब वापिस लौटो
वापिस उनही जर्जर पोथियों पत्रों के पास
सुसुम धूप में फिर से ढूंढो वही शब्द लुप्त
फिर से अपना ही वध करो
फिर से मस्तक को धड़ पर धरो
होने दो नष्ट यह बीज
फूटने दो नए दलपत्र।”
- Format: Hardcover
- Publisher: Vani Prakashan (2019)
- ASIN: B07N8W1NDV