1

पृथ्वी पर मरने से पहले
मनुष्य की आँख में मरा पानी—
पर्यावरणविदों को
मनुष्य की आँख का पानी बचाना चाहिए था पहले
ताकि बचा रहता
पत्तों, टहनियों, हवा
और बच्चों की नावों वाले गड्ढों में
पानी।

2

मनुष्य ने सारा पानी अपने नाम लिख लिया
नदियों को दे दिए वह नाम
जो देना चाहता था अपनी संतानों को
और समंदरों को बाँट लिया
आपस में

मनुष्य को जानवरों को सौंप देना चाहिए था पानी का प्रबंधन
क्योंकि जानवरों की आँख में
अभी ज़िंदा है
पानी

3

पृथ्वी पर पानी की हत्या करने के उपरांत
अन्य ग्रहों पहुँचा मनुष्य
पानी की तलाश में,
मनुष्य नहीं जानता था
अन्य ग्रहों पर प्यास के समानुपात में मिलता है पानी
दम्भ के समानुपात में केवल युद्ध मिलता है
वहाँ!

Book by Sudarshan Sharma:

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सुदर्शन शर्मा
अंग्रेजी, हिन्दी और शिक्षा में स्नातकोत्तर सुदर्शन शर्मा अंग्रेजी की अध्यापिका हैं। हिन्दी व पंजाबी लेखन में सक्रिय हैं। हिन्दी व पंजाबी की कुछ पत्रिकाओं एवं साझा संकलनों में इनकी कविताएँ प्रकाशित हुई हैं।इनके कविता संग्रह 'तीसरी कविता की अनुमति नहीं' का प्रकाशन दीपक अरोड़ा स्मृति पांडुलिपि प्रकाशन योजना-2018 चयन के तहत हुआ है।

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