घर से दूर
मैं मजबूर
वो उगता सूरज
ढलती धूप
वो बहता पानी
चाँद का नूर
वो आम की डाली
कोयल की कूक
वो माँ का आँचल
पी का रूप
वो खेलती बिटिया
कांधों से दूर
वो गाँव की खेती
अब मज़दूर
सब हैं ओझल
नज़रों से दूर
और… मैं मजबूर!!
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