खाली कमरे में
बेवजह लटके हुए कैलेंडर ने
घूमते हुए पँखे से कहा
देखो तुम कितने खुशकिस्मत हो
घूमते रहते हो
और मैं टंगा रहता हूँ
तुम्हारी ही हवा में
फड़फड़ाता रहता हूँ
पंखे ने कैलेंडर से कहा
किस्मत वाले तो तुम हो
तुम अपने में
कितने भविष्य के सपने लिए हुए हो
कितनों की आस हो
कि एक नियत तारीख में मिलेंगीं
उसे उसकी साथी
उसकी नौकरी
उसकी ख़्वाहिशें
कैलेंडर अपने पन्ने फड़फड़ाते हुए
धीमे स्वर में कहता है
ये सब तो है पर 31/12 के बाद
रुख़सत कर दिया जाऊंगा इस खूंटी से
मुझसे भले तो तुम हो
जो लटके रहोगे हमेशा हमेशा
और हवा संग बातें करोगे।
थोड़ी देर में बंद कर दी गई
पँखे की बटन
और खत्म कर दी गई
एक वार्तालाप।

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