पेड़ों नें छिपाकर रखी तुम्हारे लिए छाँव
अपनी जड़ों में दबाकर रखी मिट्टी
बुलाया बादल और बारिशों को
सहेजे रखा पानी अपनी नसों में
दिए तुम्हें रंग
तितलियाँ, परिन्दें
घोंसलें और झूले
पेड़ों ने दिए तुम्हें घर
घर के किवाड़ और खिड़कियों के पलड़े
भी दिए तुम्हें
खुद जलकर दी तुम्हें आग
बुझकर के दिया कोयला
सड़कर के दिया ईंधन
पेड़ों ने तुम्हें
वह सब कुछ दिया
जिससे तुम जीवित हो
पेड़ों ने दिया तुम्हें
सम्पूर्ण जीवन
और
पेड़ों को तुमने दी
मृत्यु!
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