या तो वह
बहुत पास था
या बहुत दूर
और
ये दोनों
वहाँ नहीं थे
जहाँ मैं थी।
मानो
मैं एक अन्तराय थी
एक ‘बीच’—
एक परिचय
उसके निकटतम होने का
उसकी दूरस्थता का
मानो
मैं एक पहचान थी
इन दोनों के बीच फैली हुई।
अमृता भारती की कविता 'जब कोई क्षण टूटता'