Poems: Ekta Nahar

मेरी सारी बेकार की बातों में
सबसे ग़ैर ज़रूरी था उसे कहना
कि बहुत याद आ रहे हो तुम
बात करने का दिल है तुमसे
रात के ठीक साढ़े बारह बजे
जब उसने कहा कि
अभी उसे नींद आ रही है
कल बात करेंगे

***

वह लूडो और चेस में काफ़ी चालाक था
इससे प्रूव होता है कि
वो दिमाग़ का तेज़ लड़का है
उस लड़की को लगा कि इन बातों के मायने नहीं
प्रेम तो दिल की शै है!

***

प्रेम को तो मर जाना चाहिए था उसी रोज़
जब उसने वक़्त लिया था सोचने के लिए
कि अब इस रिश्ते को आगे रखना है या नहीं
लेकिन प्रेम कुछ और साँसों के लालच में
ज़िंदा रहकर तड़प-तड़प के मरा

***

उसे रात को सोना नहीं पसंद
वो रात को जागकर महसूस करती
कि कितनी अकेली है वो
इस वक़्त चाहे कितनी भी बैचैनी हो
दुकानें बंद हैं, सड़कें ख़ाली हैं
दिन भर का थका महबूब
फ़ोन साइलेंट कर सो रहा है

***

उसने कहा कि मैं तुम्हें कुछ न दे सकूँगा
सिवा प्रेम के
लड़की ने भारी मोल देकर प्रेम लेना तय किया
इस बात में साथ होने का कोई वादा शामिल न था
टर्म्स एंड कंडीशंस अप्लाइड की तरह
वो लड़की ठगी जा चुकी थी

***

उसने साफ़-साफ़ नहीं कहा था कि
मुझे छोड़कर चली जाओ
उसने बस इतना कहा कि
वह एक ‘हैप्पी सोल’ रहना चाहता है
ग़मों से भरी लड़की के लिए
ये इशारा काफ़ी था

***

प्रेम में देह एक समर्पण है
शादी एक बहुत ही अलग मसला है
वो कैसी पूर्व प्रेमिका थी उसकी
जो उस पर देह तक न लुटा सकी
तुम एक अच्छी प्रेमिका बनना!

***

नाख़ून के टूटने पर उसे ज़रा भी दर्द न हुआ
उसे चुभा कि इतने दिनों तक
वह बेवजह नाख़ून बढ़ाती रही
उससे अलग होते वक़्त भी कुछ ऐसा ही महसूस हुआ उसे

***

उसे इस देश की सियासत से नफ़रत थी
उसे किसी और देश की नागरिकता चाहिए थी
अरब, ईरान या पाकिस्तान, किसी की भी
अपनी प्रेमिका के छोड़कर चले जाने के बाद
उसने मुझसे इश्क़ का इज़हार किया था।

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