अनलिखी कविताएँ

कुछ प्रेम कविताएँ मैंने कभी नहीं लिखीं
क्योंकि जिसको मैं सुनाना चाहती थी
वह सुनने को कभी राज़ी न हुआ
किसी और को सुनाने की मेरी इच्छा न हुई
ज़ेहन में पड़े-पड़े उन पर अब धूल जमने लगी है
सोचा है उन अनलिखी तहरीरों को अब लिख ही डालूँ
फिर उन्हें एक नदी में बहा दूँ
जैसे-जैसे उसकी स्याही पानी में घुलती जाएगी
मुझे चैन पड़ता जाएगा
सुना है नदी सागर से मिलती है
क्या पता कभी इस भव सागर से
उस भाव सागर का मिलन हो ही जाए।

पथरायी आँखें

हृदय की कोमलता बड़ी ख़तरनाक चीज़ होती है
सही-ग़लत का फ़र्क़ मिटा देती
बुद्धि जिसे ग़लत करार देती
हृदय उसे भी सही ठहरा सकता
माफ़ कर देता दूसरों की बड़ी से बड़ी ग़लती
खा लेता धोखा एक बार फिर
जिससे छला जाता रहा बार-बार
बन जाती है स्त्री की दयार्द्रता ही
उसकी सबसे बड़ी दुश्मन
उसकी आँखें ही आर्द्र नहीं रहती
हृदय भी आर्द्र होता
स्त्रियाँ सतायी सिर्फ़ इसलिए जाती हैं
कि वे कठोर होना नहीं जानती
और अगर अपनी प्रकृति के ख़िलाफ़ जाकर
कठोर होने का विकल्प चुन ही लें
तो ख़ुद से ही उन्हें कितना लड़ना पड़ता
यह अपने आँसुओं को ज़बरदस्ती छुपाने में समर्थ स्त्री
की पथरायी आँखों से पूछो।

शुरुआत

कुछ राहें हमें कहीं नहीं ले जातीं
चाहे हम कितना भी चलें
घूम फिर ख़ुद को वहीं पाते
जहाँ से चले थे
बेहतर है इस बात को जल्दी समझ
हम रास्ता बदल लें
कुछ लोग भी कभी नहीं बदलते
भले ही वे कितने ही ग़लत हों
बेहतर है यह आशा छोड़
ख़ुद को ही कुछ बेहतर बना लें
एक यही बात हमारे हाथ में है
व्यर्थ समय बरबाद न करें
रेत से तेल निकालने में
या रेगिस्तान में कमल खिलाने में
तो मैंने आज अपने घर को ऐसे देखा
जैसे शरीर से निकलने के बाद
कोई आत्मा मृत शरीर को देखती हो
यह सोचते हुए कि क्या यह मेरा ही शरीर था
और मैंने अपने ‘मैं’ को मारने की शुरुआत कर दी।

कारण

सदियों से लोगों ने दुःख का कारण ढूँढा
मैं काँटों में खिले फूलों को
सुबह की नर्म धूप में चहकते पक्षियों को
हवा में डोलते वृक्षों की पत्तियों को
शिशु के मासूम चेहरे और निश्छल आँखों
को देख आनंद का कारण ढूँढती हूँ
कुछ भी कारण नहीं मिलता
सिवाय इसके कि वे अपने होनेपन में ही आनंदित हैं
तो मेरा होना
मेरे आनंद का कारण क्यों न हो
इसमें कितना प्रसाद है
भगवत्ता से भरी हुई मैं
अपने इस ख़ालीपन से भरी हुई हूँ
जिसमें किसी के लिए कोई अभाव नहीं।

Previous articleमुट्ठी भर चावल
Next articleतानाशाही
मुकुल अमलास
जन्मस्थान: मिथिलांचल बिहार वर्तमान में नागपुर में निवास तथा स्वतंत्र लेखन में रत एक कविता संग्रह "निःशब्दता के स्वर" प्रकाशित आजकल, काव्यमंजरी, रचनाकार, अनहद कृति, जानकीपुल आदि पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here