Poems: Poonam Tyagi

संवेदना का व्यापार

ऊँचे ओहदे पर क़ाबिज़ स्त्री,
पुरुष के अहम् को
सहलाती स्त्री,
गहने-कपड़ों में फीकी
मुस्कान लिए स्त्री

समान ओहदे में साथ-साथ
चलती स्त्री,
आत्मनिर्भरता की धज्जियाँ
उड़ाते पुरुष,
झूठी मुस्कान में
फोटो खिंचाती स्त्री

बिन ओहदे के पीछे चलती स्त्री,
संवेदना का व्यापार करते
संवेदनहीन पुरुष,
बिन हसीं के मुस्कुराती स्त्री।

स्त्रैण गुण

मुझे पसंद थी गुड़िया
तुम्हें बन्दूक,
मुझे गुड़िया का ब्याह
तुम्हें बारात का हुड़दंग,
मुझे तितली के पीछे भागना
तुम्हारा उसे मारना,
मुझे घरोंदा बनाना
तुम्हारा उसे तोड़ना,
मुझे चोटी बनाना
तुम्हारा उसे खींचना,
मुझे फूल को निहारना
तुम्हारा उसे तोड़ना,
मेरा तुम्हें सहलाना
तुम्हारा मुझे रुलाना

एक से ही तो खेल थे हमारे
फिर क्यों तरीक़े अलग थे हमारे
क्या कहा?
जन्मजात गुण हैं हमारे
तो फिर कर लो तुम भी
मेरे गुण अर्जित
और बना दो इस आधी आबादी को सुरक्षित
सुनो भावी माँओ
इनके जन्म से पूर्व करना तुम भी कुछ स्त्रैण कल्पनाएँ
ताकि इन्हें भी मिले
जन्मजात स्त्रैण गुण
और
रोने देना इन्हें भी फफककर
इनकी ग़लतियों और दुःखों पर
निश्चित जानो तब भी बने रहेंगे
ये मर्द!

प्रेम में किसी एक का होना

प्रेम की स्वीकार्यता, दोनों को
समर्पित कर देती है
दोनों को

प्रेम का तिरस्कार
मुक्त या स्वछन्द कर देता है
कभी
उद्दंड व उग्र भी
किसी एक को

प्रेम में किसी एक का होना
छटपटाहट व टीसने के बाद
मौन होकर
सालता रहता है
किसी एक को
अनवरत
अविचल
अविराम…

सींचे-सहेजे बिना

प्रेम कभी उस पौधे की तरह होता है
जिसे रोपा जाता है
पर मुरझा जाता है
सींचने-सहेजने के बाद भी

और कभी
उस कैक्टस की तरह जो
स्वतः ही पनप जाता है
हरा रहता है
सींचे-सहेजे बिना भी…

यह भी पढ़ें: आरती तिवारी की कविता ‘गर्भगृह के बाहर खड़ी स्त्री’

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