भाव
सबसे सस्ता खेत
सबसे सस्ता अन्न
सबसे सस्ता बीज
सबसे सस्ती फ़सल
उससे भी बढ़कर सस्ता किसान—
जिसके मरने से किसी को
जेल नहीं होती,
जिसके आत्महत्या करने से
किसी को फाँसी नहीं होती।
सरकार की चुप्पी
अगर समुद्र होता तो गरजता
नदी होती तो बहती, पुकार लगाती
कोई पक्षी होता तो चहकता दिन-रात
हवा होती तो साँय-साँय करती
अगर कोई बच्चा होता तो
शोर मचाकर दुनिया-जहान एक कर देता
कोई स्त्री होती तो ज़रूर बातें करती
कोई पहाड़ होता तो चीख़ता
कोई भी होता इस पृथ्वी का नागरिक तो
वह ज़रूर बोलता
अपना होना बताने के लिए
इस सरकार की चुप्पी तो अनहद है
कुछ भी हो जाए
बोलती नहीं!
यह कविता यहाँ सुनें:
शंकरानंद की कविता 'पृथ्वी सोच रही है'