भाव

सबसे सस्ता खेत
सबसे सस्ता अन्न
सबसे सस्ता बीज
सबसे सस्ती फ़सल
उससे भी बढ़कर सस्ता किसान—
जिसके मरने से किसी को
जेल नहीं होती,
जिसके आत्महत्या करने से
किसी को फाँसी नहीं होती।

सरकार की चुप्पी

अगर समुद्र होता तो गरजता
नदी होती तो बहती, पुकार लगाती
कोई पक्षी होता तो चहकता दिन-रात
हवा होती तो साँय-साँय करती

अगर कोई बच्चा होता तो
शोर मचाकर दुनिया-जहान एक कर देता
कोई स्त्री होती तो ज़रूर बातें करती
कोई पहाड़ होता तो चीख़ता

कोई भी होता इस पृथ्वी का नागरिक तो
वह ज़रूर बोलता
अपना होना बताने के लिए

इस सरकार की चुप्पी तो अनहद है
कुछ भी हो जाए
बोलती नहीं!

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शंकरानंद की कविता 'पृथ्वी सोच रही है'

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शंकरानंद
शंकरानंद जन्म 8 अक्टूबर 1983 नया ज्ञानोदय,वागर्थ,हंस,परिकथा,पक्षधर,कथादेश,आलोचना,वाक,समकालीन भारतीय साहित्य,इन्द्रप्रस्थ भारती,साक्षात्कार, नया पथ,उद्भावना,वसुधा,कथन,कादंबिनी, जनसत्ता,अहा जिंदगी, दैनिक जागरण, दैनिक भास्कर,हरिभूमि,प्रभात खबर आदि पत्र-पत्रिकाओं में कविताएं प्रकाशित। कुछ में कहानियां भी। अब तक तीन कविता संग्रह'दूसरे दिन के लिए','पदचाप के साथ' और 'इनकार की भाषा' प्रकाशित। कविता के लिए विद्यापति पुरस्कार और राजस्थान पत्रिका का सृजनात्मक साहित्य पुरस्कार। कुछ भारतीय भाषाओं में अनुवाद भी। हिन्दवी,पोषम पा, कविता कोश, हिन्दी समय, समालोचन, समकालीन जनमत पर भी कविताएं। संप्रति-लेखन के साथ अध्यापन। संपर्क-shankaranand530@gmail.com