Poems: Sudhanshu Raghuvanshi

1

तुम्हारी हँसी बेआवाज़ थी
और रोने में शोर
जब तुम प्रेम में थे

अब, जब प्रेम तुम में है
तुम्हारी हँसी में शोर है
रोना.. बेआवाज़!

2

वह शब्द
जिसका उच्चारण ठीक
नहीं कर पाती थीं तुम

वही अशुद्ध उच्चारण है
मेरी कविता।

3

ईश्वर आज भी वह दृश्य सोचकर
अनमने ही मुस्करा उठता है
जब मुझे सुख ने दुःख का पता बताया
और दुःख
फिर सुख के दरवाज़े पर पहुँचा गया।

उसके बाद,
मैंने
दोनों का हाथ थामा
और प्रेम के घर छोड़ आया।

4

अगले जन्म में सोचूँगा
कविता के बारे में

यह जन्म
प्रेम के परीक्षण में ही बीत गया

परिणाम भी बता नहीं पाऊँगा अभी

तो…
प्रयोगशाला जलने तक,
मुझे दीजिए इजाज़त!

तख़लिया!

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