दुःखों में बचे रहना चाहते हो
तो प्रार्थनाओं से बचना
प्रार्थना रत हथेलियों के बीच से बह जाता है
एक हिस्सा जुझारूपन
एक हिस्सा जिजीविषा
प्रार्थनाएँ प्रमेय हैं
जो सिद्ध करती हैं
कि तुम्हारे स्व की परिधि से बाहर स्थित है
सत्ता का अंतिम केंद्र
प्रार्थनाएँ तुम्हें कातर बनाती हैं
और तुम खो बैठते हो
जन्मसिद्ध युयुत्सा,
भूल बैठते हो
गर्भ की अंधकोठी की
मूक प्रतीक्षा,
विस्मृत कर जाते हो
गर्भ भेद नीति
चरण प्रति चरण
प्रार्थनाएँ रोक लेती हैं
व्यूह द्वार पर तुम्हारा रथ
और तुम चाहने लगते हो
कोई और लड़े तुम्हारी ओर से
याद रखो
तुम्हारे दुःख केवल तुम्हारे हैं
आदि से अंत तक
याद रखो
जिजीविषा के समानुपातिक होते हैं दुःख
हमेशा
याद रखो
प्रार्थनाएँ तीसरा चर हैं,
यह गड़बड़ा देंगीं
दुःख और जिजीविषा के समस्त समीकरण
प्रार्थनाएँ
खींच लेंगीं पौरुष का समस्त ओज,
एक दिन
मान लोगे तुम स्वयं को
नपुंसक,
निर्बल तुम
भेंट कर दोगे
अपना मस्तक
एक दिन
दुःख को
इसीलिए
दुःखों में
बचे रहना चाहते हो
तो प्रार्थनाओं से बचना।