‘Prem Hai Jab Tak’, a poem by Maneesh Bhatt

प्रेम है
जब तक
तब तक
सब कुछ ठीक-ठीक है
बस
नाम-भर
कुछ
तन्हाइयाँ हैं
आसक्ति है
विरक्ति है
और थोड़ा-सा है
स्वर्णिम-सा अवसाद।