जब कोई तुम्हारी हँसी में
गहरी उदासी न भांप सके
उनींदी बेचैन रातों को
अपने बोसे से न ढांप सके
जब कोई आँखों के गीले कोरों से
मन का सूनापन न माप सके
और
जब तुम्हारी खामोशियों को
अपनी अनर्गल बातों में न छुपा सके
तब और कुछ नहीं… बस!
जीवन के पूरे पन्ने पर
‘प्रेम की कविता’
अधूरी रह जाती है।

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रेणु मिश्रा
कवि, लेखक, यायावर। प्रकाशित कविता संग्रह - 'जब मैं कोई नहीं हूँ'। बाकी परिचय रूबरू होने पर।

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