जब कोई तुम्हारी हँसी में
गहरी उदासी न भांप सके
उनींदी बेचैन रातों को
अपने बोसे से न ढांप सके
जब कोई आँखों के गीले कोरों से
मन का सूनापन न माप सके
और
जब तुम्हारी खामोशियों को
अपनी अनर्गल बातों में न छुपा सके
तब और कुछ नहीं… बस!
जीवन के पूरे पन्ने पर
‘प्रेम की कविता’
अधूरी रह जाती है।
प्रेम की कविता
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Lovely poem…So true feelings 🙂 keep writing dear !!
Lovely poem…So touching n true 🙂 keep writing dear !!
wah