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RECENT POSTS
स्वीडिश कवि मैगनस ग्रेन की कविताएँ
अनुवाद: पंखुरी सिन्हा
आंधी के बाद सेंट फ़ेगंस जाने की राह में
एम 4 पर हमारी गाड़ी
दौड़ गई वेल्स के बीचों-बीच
सेंट फ़ेगंस की ओर
आंधी के बाद...
नेओमी शिहैब नाय की कविता ‘प्रसिद्ध’
नेओमी शिहैब नाय (Naomi Shihab Nye) का जन्म सेंट लुइस, मिसौरी में हुआ था। उनके पिता एक फ़िलिस्तीनी शरणार्थी थे और उनकी माँ जर्मन...
किताब अंश: ‘शहर से दस किलोमीटर’ – नीलेश रघुवंशी
'शहर से दस किलोमीटर' ही वह दुनिया बसती है जो शहरों की न कल्पना का हिस्सा है, न सपनों का। वह अपने दुखों, अपने...
श्रीविलास सिंह की कविताएँ
सड़कें कहीं नहीं जातीं
सड़कें कहीं नहीं जातीं
वे बस करती हैं
दूरियों के बीच सेतु का काम,
दो बिंदुओं को जोड़तीं
रेखाओं की तरह,
फिर भी वे पहुँचा देती...
गीतांजलि श्री – ‘रेत समाधि’
गीतांजलि श्री का उपन्यास 'रेत समाधि' हाल ही में इस साल के लिए दिए जाने वाले बुकर प्राइज़ के लिए चयनित अन्तिम छः किताबों...
टॉम फ़िलिप्स की कविताएँ
अनुवाद: पंखुरी सिन्हा
युद्ध के बाद ज़िन्दगी
कुछ चीज़ें कभी नहीं बदलतीं
बग़ीचे की झाड़ियाँ
हिलाती हैं अपनी दाढ़ियाँ
बहस करते दार्शनिकों की तरह
जबकि पैशन फ़्रूट की नारंगी
मुठ्ठियाँ जा...
जावेद आलम ख़ान की कविताएँ
तुम देखना चांद
तुम देखना चांद
एक दिन कविताओं से उठा ज्वार
अपने साथ बहा ले जाएगा दुनिया का तमाम बारूद
सड़कों पर क़दमताल करते बच्चे
हथियारों को दफ़न...
श्यामबिहारी श्यामल जी के साथ संगीता पॉल की बातचीत
जयशंकर प्रसाद के जीवन पर केंद्रित उपन्यास 'कंथा' का साहित्यिक-जगत में व्यापक स्वागत हुआ है। लेखक श्यामबिहारी श्यामल से उपन्यास की रचना-प्रकिया, प्रसाद जी...
किताब अंश: शाहीन बाग़ – लोकतंत्र की नई करवट
भाषा सिंह की किताब 'शाहीन बाग़ : लोकतंत्र की नई करवट' उस अनूठे आन्दोलन का दस्तावेज़ है जो राजधानी दिल्ली के गुमनाम-से इलाक़े से...
सहेजने की आनुवांशिकता में
कहीं न पहुँचने की निरर्थकता में
हम हमेशा स्वयं को चलते हुए पाते हैं
जानते हुए कि चलना एक भ्रम है
और कहीं न पहुँचना यथार्थदिशाओं के...