‘Purse’, a poem by Pallavi Pandey
औरतों के पर्स
एकदम भानमती का पिटारा
सेफ़्टी पिन
रबर-बैण्ड
पेन
चिल्लर
बस जो खोज रही हैं
वो नहीं मिलता
पर मिलते हैं
चोर जेब में
सहेजे
कुछ पल
सिनेमा के टिकट
जिनकी स्याही
उड़ गई
पर तस्वीर
आज भी रंगीन
पहली डेट का
रेस्टोरेंट बिल
(फ़ुटसी खेलना)
औरतों के पर्स
एकदम भानमती का पिटारा
पके बालों की जागीर
अन्दर एक
षोडशी छिपाए।