Gaurav Solanki Quotes from ‘Gyarahvin A Ke Ladke’

 

“आधी बातें बिना सुने भी जीवन उसी तरह जिया जा सकता था।”

 

“सबका ज़ोर हमें मुहावरें, लोकोक्तियाँ, व्याकरण और कविताओं की सप्रसंग व्याख्याएँ सिखाने पर रहा है। एक समझदार साजिश के तहत हमें यह विकल्प बताया ही नहीं गया कि कविताएँ गढ़ी भी जा सकती हैं।”

 

“ज़िन्दगी एक पल्प फ़िक्शन है और जो भी इसे उच्च आदर्शों वाले साहित्य में बदलने की कोशिश करेगा, उसे चारों तरफ़ से घेरकर मार डाला जाएगा। हमें ज़िन्दा रहना है इसलिए हम कोशिश करेंगे कि अश्लील चुटकुलों पँर हँसते रहें और अपने हिस्से की रोटी खाकर चुपचाप सो जाएँ।”

 

“किसी भी कहानी का असली मज़ा चौंकने और चौंकाने में है और अगर कोई कहानी चौंकाती नहीं है तो वह बण्डल है..!”

 

“ज़िन्दगी भी एक ब्लू फ़िल्म थी जिसके सुखान्त के लिए हम सब नंगे हो गए थे।”

 

“लड़के जब अपना सारा आत्मसम्मान भुलाकर लड़कियों के सामने रोते हैं तो उन्हें बचाकर किसी सुन्दर दुनिया में ले जाने का मन करता है। वे लड़के जो बहुत से बेहतर काम कर सकते हैं, प्यार कर बैठते हैं और ख़त्म हो जाते हैं।”

 

“उसके मुस्कुराने में दूध का उबाल था। उसे पा लेना इतनी बड़ी बात थी कि उसके लिए हज़ारों कहानियों को बण्डल बनाया जा सकता था।”

 

“कभी-कभी सही और ग़लत को सोच सकने की नैतिकता से परे हम सिर्फ़ पीड़ित होते रहने के लिए मजबूर होते हैं। कभी-कभी सुख हमें आकर्षित करके अपने पाश में इस तरह जकड़ लेता है कि हम कुछ भी नहीं सोच पाते और वही निर्णय लेते हैं, जो उस समय सुख की ओर ले जा रहा होता है।”

 

“मैं दो बातों के लिए ज़िन्दगी-भर पछताया। एक, उस दोपहर जंगली होकर उसे प्यार नहीं करने के लिए। दूसरी वजह भी यही थी।”

 

“दुनिया के सबसे उदास बच्चे वे हैं, जिन्होंने अपने पिता को बेबस होकर रोते हुए देखा है।”

 

“तकलीफ़ के बदले तकलीफ़ देना प्यार के बदले प्यार देने से ज़्यादा ज़रूरी लगता था।”

 

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गौरव सोलंकी
युवा लेखक, कवि व गीतकार। हाल ही के कामों में 'अगली', 'दास देव', 'वीरे दी वेडिंग' फ़िल्मों में गीत लेखन तथा 'आर्टिकल १५' का पटकथा लेखन।