राष्ट्र के सेवक ने कहा— “देश की मुक्ति का एक ही उपाय है और वह है नीचों के साथ भाईचारे का सुलूक, पतितों के साथ बराबरी का बर्ताव। दुनिया में सभी भाई हैं, कोई नीच नहीं, कोई ऊँच नहीं।”

दुनिया ने जय-जयकार की—कितनी विशाल दृष्टि है, कितना भावुक हृदय!

उसकी सुन्दर लड़की इंदिरा ने सुना और चिंता के सागर में डूब गई।

राष्ट्र के सेवक ने नीची जाति के नौजवान को गले लगाया।

दुनिया ने कहा— यह फ़रिश्ता है, पैगम्बर है, राष्ट्र की नैया का खेवैया है।

इंदिरा ने देखा और उसका चेहरा चमकने लगा।

राष्ट्र का सेवक नीची जाति के नौजवान को मन्दिर में ले गया, देवता के दर्शन कराए और कहा— “हमारा देवता ग़रीबी में है, ज़िल्लत में है, पस्ती में है।”

दुनिया ने कहा— कैसे शुद्ध अंतःकरण का आदमी है! कैसा ज्ञानी!

इंदिरा ने देखा और मुस्करायी।

इंदिरा राष्ट्र के सेवक के पास जाकर बोली— “श्रद्धेय पिताजी, मैं मोहन से ब्याह करना चाहती हूँ।”

राष्ट्र के सेवक ने प्यार की नज़रों से देखकर पूछा— “मोहन कौन है?”

इंदिरा ने उत्साह भरे स्वर में कहा— “मोहन वही नौजवान है, जिसे आपने गले लगाया, जिसे आप मन्दिर में ले गए, जो सच्चा, बहादुर और नेक है।”

राष्ट्र के सेवक ने प्रलय की आँखों से उसकी ओर देखा और मुँह फेर लिया।

प्रेमचंद की कहानी 'खुचड़'

Book by Premchand:

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प्रेमचंद
प्रेमचंद (31 जुलाई 1880 – 8 अक्टूबर 1936) हिन्दी और उर्दू के महानतम भारतीय लेखकों में से एक हैं। मूल नाम धनपत राय श्रीवास्तव, प्रेमचंद को नवाब राय और मुंशी प्रेमचंद के नाम से भी जाना जाता है। प्रेमचंद ने हिन्दी कहानी और उपन्यास की एक ऐसी परंपरा का विकास किया जिसने पूरी सदी के साहित्य का मार्गदर्शन किया। आगामी एक पूरी पीढ़ी को गहराई तक प्रभावित कर प्रेमचंद ने साहित्य की यथार्थवादी परंपरा की नींव रखी।

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