कुछ भी बदला नहीं फ़लाने!
सब जैसा का तैसा है
सब कुछ पूछो, यह मत पूछो
आम आदमी कैसा है?

क्या सचिवालय, क्या न्यायालय
सबका वही रवैया है,
बाबू बड़ा न भैय्या प्यारे
सबसे बड़ा रुपैया है,
पब्लिक जैसे हरी फ़सल है
शासन भूखा भैंसा है।

मंत्री के पी. ए. का नक्शा
मंत्री से भी हाई है,
बिना कमीशन काम न होता
उसकी यही कमाई है,
रुक जाता है, कहकर फ़ौरन
‘देखो भाई ऐसा है’।

मन माफ़िक सुविधाएँ पाते
हैं अपराधी जेलों में,
काग़ज़ पर जेलों में रहते
खेल दिखाते मेलों में,
जैसे रोज़ चढ़ावा चढ़ता
इन पर चढ़ता पैसा है।

सब कुछ पूछो, यह मत पूछो
आम आदमी कैसा है?

कैलाश गौतम की कविता 'गाँव गया था गाँव से भागा'

Book by Kailash Gautam:

कैलाश गौतम
हिन्दी और भोजपुरी बोली के रचनाकार कैलाश गौतम का जन्म चन्दौली जनपद के डिग्धी गांव में 8 जनवरी, 1944 को हुआ। शिक्षा काशी हिन्दू विश्वविद्यालय और प्रयाग विश्वविद्यालय में हुई। लगभग 37 वर्षों तक इलाहाबाद आकाशवाणी में विभागीय कलाकार के रूप में सेवा करते रहे। अब सेवा मुक्त हो चुके हैं।