दिल्ली की भागम-भाग भीड़ में
कितना कुछ भागता है न
समय
लोग
बसें
कारें
मन
पर इसमें उनका भागना अलग ही है
एकदम अलग
उनको देख ऐसा लगता है जैसे जंगल से सभ्यता समाज की तरफ भाग रही है
वो भागती हैं अन्त तक जो कि अनन्त है
वो भागती हैं घर तक जिसकी तलाश है
वो भागती हैं क़ब्र तक जो कि मंज़िल रही है हमेशा
वो भागती हैं डी.टी.सी. तक
इस तरह भागती हैं दिल्ली की लड़कियाँ
कई लड़कियाँ अपने प्रेमी संग भागती हैं
कई अपने अस्तित्व के लिए
तो कई डर से भी
सभी भागने वाली लड़कियाँ शिकार हो जाती हैं
और न भागने वाली, न भाग कर भी…