एक चिड़िया उड़ रही थी
आकाश में,
उसकी पूरी उड़ान देखने का
समय न था।

फूल हिल रहे थे
कई-कई रंगों में,
उनके रंग पहचानने का
समय न था।

थोड़ी बदली थी
जो ढँक लेती थी धूप
फिर निकलती धूप को
देखने का
समय न था।

समय न था
कि उतरती सीढ़ियों पर
जल्दी-जल्दी न उतरूँ।

समय न था।

प्रयाग शुक्ल की कविता 'कहा मेरी बेटी ने'

Book by Prayag Shukla:

प्रयाग शुक्ल
प्रयाग शुक्ल (जन्म १९४०) हिन्दी के कवि, कला-समीक्षक, अनुवादक एवं कहानीकार हैं। ये साहित्य अकादेमी का अनुवाद पुरस्कार, शरद जोशी सम्मान एवं द्विजदेव सम्मान से सम्मानित हैं।