अंतरंगता सुंदर और न्यायसंगत लग सके
इसलिए उसे हमेशा ‘मैं तुम्हारे प्रेम में हूँ’ का
अल्पकालिक वस्त्र पहनाया गया
ताली एक हाथ से नहीं बज सकती
इस तथ्य का किया जाता है बेज़ा इस्तेमाल
और खटाक से खींच लिया जाता है एक ज़रूरी हाथ
सच्चे चुम्बन दोबारा नहीं हो पाते
प्रेम के संयत अभिनय में
अधरों पर अचानक उग आता है एक दिमाग़
नज़दीकियाँ कर आती हैं दुनियादारी की यात्रा
ताकि मुखर साँसों के प्रेम गीत सुने न जा सकें
रोक ली जाती है रक्त की आवाजाही
अभिव्यक्ति असभ्यता मान ली जाती है
पास बने रहने के सारे प्रयास
दिमाग़ी अस्थिरता लगने लगते हैं
प्रेमी प्रेम के गंभीर हो जाने के अलावा
किसी और शै से नहीं डरते।
Ati sundar aur shabdo ke bhavarth ko sahejne aur adbhut Kavita hai…