डोरी को तू ढील दे भैया
पतंग जोर से खींच ले भैया।
रंग बिरंगी पतंग उड़ रहीं
पेंच लड़ाना सीख ले भैया।
जाड़ा बहुत कड़क पड़ा है
मन को भी कुछ शीत दे भैया।
धरती को भी घुमा दे थोड़ा,
गर्मी थोड़ी सींच दे भैया।
तिल गुड़ की एक पतंग बनाके
पेट के अंदर भींच ले भैया।
खेत खलियान सब हरे हो गए
खुशियों के अब गीत दे भैया।
?
© शिल्पी दिवाकर