शब्दों का होना ज़रूरी नहीं
कविता कहने को,
कविता बनती है
एक माँ के प्यार दुलार से,
बच्चे का पहला स्तनपान,
बच्चे की पहली मुस्कान,
पहला शब्द, पहला कदम ,
बच्चे की हर पहली बात
होती है कविता माँ के लिए…
पहले प्यार की पहली नज़र,
पहला ख़त, पहली छुअन,
पहला चुम्बन, पहला आलिंगन,
ये सब होते हैं कविता
प्रेम में पड़े युगल के लिए ..
पहली बारिश जो लाती है
पिया का संदेश…
पहली खुशबू जो रच बस जाती है,
हो जाती है कविता जीवन भर के लिए …
सूरज को देखकर सूरजमुखी का खिलना,
चाँद तारों को देखकर रातरानी का महकना,
जीवन की हर वो घटना
जो रोमांच और रोमांस भर दे
कविता हो जाती है जीवन भर के लिए..!!

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तरसेम कौर
A freelancer who loves to play with numbers and words.

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