पत्थर के कोयले से
जो धुआँ उठता है
उसमें एक शहर महकता है
सुना है उस शहर में
शरीफ़ लोग रहते हैं
लेकिन
शराफ़त का
धुएँ से क्या नाता है
यह समझ में नहीं आता
जैसे यह
कि हर बार जंगल का राजा
शेर ही क्यों हो जाता है
या यह
कि बच्चों की फ़सल
मुरझाने क्यों लगी है
कि बिना किसी बीमारी के
मेरा जिस्म
तलवार क्यों हो रहा है
क्या यह बात
शरीफ़ों के कर्त्तव्य से बाहर है
कि वे धुएँ को ख़त्म करें
अथवा
पत्थर को जलने से रोकें?

मैं समझता हूँ
इतना ही नहीं
जंगल का राज्य
बच्चों की फ़सल
मेरा जिस्म
सबके प्रति उनकी ज़िम्मेदारी है—
अगर शहर में
सचमुच शरीफ़ लोग रहते हैं।

Book by Abdul Bismillah:

अब्दुल बिस्मिल्लाह
अब्दुल बिस्मिल्लाह (जन्म- 5 जुलाई 1949) हिन्दी साहित्य जगत के प्रसिद्ध उपन्यासकार हैं। ग्रामीण जीवन व मुस्लिम समाज के संघर्ष, संवेदनाएं, यातनाएं और अन्तर्द्वंद उनकी रचनाओं के मुख्य केन्द्र बिन्दु हैं। उनकी पहली रचना ‘झीनी झीनी बीनी चदरिया’ हिन्दी कथा साहित्य की एक मील का पत्थर मानी जाती है। उन्होंने उपन्यास के साथ ही कहानी, कविता, नाटक जैसी सृजनात्मक विधाओं के अलावा आलोचना भी लिखी है।