क्षणिकाएँ : कैलाश वाजपेयी
स्पन्दन
कविता हर आदमी
अपनी
समझ-भर समझता हैईश्वर एक कविता है!
मोमिन
पूजाघर पहले भी होते थे,
हत्याघर भी
पहले होते थेहमने यही प्रगति की है
दोनों को एक में मिला दिया।
आदिम...
तुम्हारा नाम
1बहुत कुछ बचेगा सहेजने को
पर मैं सहेजूँगी तुम्हारी कविताएँ
ताकि
पीड़ाओं की गंध में
समेट सकूँ अपने कण्ठ में
उच्चरित
तुम्हारे नाम का स्वर।2संसार से उपहार के तौर पर
मैंने...
सुधांशु रघुवंशी की कविताएँ
Poems: Sudhanshu Raghuvanshi1तुम्हारी हँसी बेआवाज़ थी
और रोने में शोर
जब तुम प्रेम में थेअब, जब प्रेम तुम में है
तुम्हारी हँसी में शोर है
रोना.. बेआवाज़!2वह शब्द
जिसका...
पकने के वक़्त में बहुत कुछ बदल जाता है
Poems: Ekta Naharसब कुछ सलीक़े से करने वाली उस लड़की ने
तय कर रखी थी अपने जाने की तारीख़ भीशादी के इक रोज़ पहले तक मैं बस...
मातृ और मातृभूमि
'Matr aur Matrbhoomi', poems by Harshita Panchariyaमेरे लिए मातृ और मातृभूमि में
इतना ही अन्तर रहा
जितना धर्म और ईश्वर में रहा
धर्म मानव बनने का ज़रिया...
प्रेमिल क्षणिकाएँ
Poems: Mukesh Kumar Sinha
1
लिखकर
रेत पर
नाम तुम्हारा
बहा दिया उछलती लहरों मेंऔर बस
हो गया
पूरा समुद्र
सिर्फ़ तुम्हारे नामकहो, दे पायेगा
कोई ऐसा उपहार!
2
दीवार से चिपकी
थरथरा रही थीं उम्मीदेंसपनों की रंगीनियों...
स्मृतियाँ, आग
Poems: Harshita Panchariya
स्मृतियाँ
देह के संग्रहालय में
स्मृतियाँ अभिशाप हैं
और यह जानते हुए भी
मैं स्मृतियों की शृंखला
जोड़ने में लगी हूँसम्भवतः 'जोड़ने की कोशिश'
तुम्हें भुलाने की क़वायद में
एकमात्र...
किसान – पन्द्रह लघु कविताएँ
Poems: Pratap Somvanshi
एक
एक ऐसा बकरा
जिसे पूरा सरकारी अमला
काटता खाता
सेहत बनाता है
और वह
दूसरों के लिए
चारा उगाता है
चारा बन जाता है
दो
कुनीतियों की डायन
अपने ही बच्चे खाती...